作词 : Guilherme Eduardo De Lima Junior
作曲 : Guilherme Eduardo De Lima Junior
भक्ति (Bhakti - आध्यात्मिक समर्पण)
(प्रस्तावना – मंत्र फुसफुसाते हुए)
ॐ श्री कृष्णाय नमः (Om Shri Krishnaya Namah)
हृदय समर्पित, आत्मा ऊँची होती है…
प्रेम की शुद्धता में, हम शांति पाते हैं।
(श्लोक १ – गहरी भक्ति)
मंदिर के आगे, जहाँ दीपक जलता है,
प्रेम की ज्योति मेरे हृदय में जलती है, बिना किसी चक्कर के।
मेरे हाथ उठते हैं, आत्मा खुलती है,
कृष्णा, मेरे प्रभु, तुममें ही मैं अपना अस्तित्व पाता हूँ।
जीवन के खेतों में, दुख है सत्य,
लेकिन भक्ति मुझे एक दिव्य स्थान पर ले जाती है।
शिवा, तेरा नृत्य मुझे प्रकाश की ओर ले जाता है,
हर कदम से, मैं तुझसे और पास होता जाता हूँ, तू मेरी क्रूस है।
(पूर्व-कोरस – समर्पण)
ॐ नमः शिवाय (Om Namah Shivaya)
मैं तुझे समर्पित करता हूँ, बिना डर के, बिना पीड़ा के,
कृष्णा के गले में, मैं अपना प्रेम पाता हूँ।
न कोई अहंकार, न कोई बंधन, केवल शुद्ध भक्ति,
तेरी उपस्थिति में, मैं आत्मा और ममता हूँ।
(कोरस – अडिग विश्वास)
भक्ति... मेरा हृदय तुझसे समर्पित है,
हर सांस के साथ, हर मुस्कान के साथ, मैं अंत को महसूस करता हूँ।
भक्ति... विश्वास की शांति में,
तुझसे मिलता हूँ, मेरे प्रभु, हर सुबह में, हर कदम में।
(श्लोक २ – आध्यात्मिक यात्रा)
दुर्गा, माँ वीरता की, तू मेरी शक्ति है,
जीवन की लड़ाई में, तुझमें ही मुझे घर मिलता है।
तेरा प्रेम रक्षा है, दिव्य ढाल,
तेरी दृष्टि प्रकाश है, जो रास्ते को स्पष्ट करती है।
डर के बिना मैं चलता हूँ, मेरी आत्मा कभी नहीं डगमगाती,
कृष्णा मेरे मन में, शिवा मेरे रास्ते में।
जीवन एक अर्पण है, मेरी आत्मा एक फूल है,
तेरे प्रति मेरी आत्मा, मेरा जीवन, मेरा प्रेम अर्पित है।
(पुल – दिव्य एकता)
ॐ मणि पद्मे हूँ (Om Mani Padme Hum)
तेरा नाम है वह गान जो मुक्ति देता है,
तेरी दृष्टि मुझे मार्गदर्शन करती है, सत्य निश्चित है।
प्रार्थना में हाथ, शांति में आत्मा,
अडिग विश्वास, अब कुछ भी मुझे नहीं हिला सकता।
(कोरस – अंतिम बार, सर्वोच्च भक्ति)
भक्ति... मेरा हृदय तुझसे समर्पित है,
हर सांस के साथ, हर मुस्कान के साथ, मैं अंत को महसूस करता हूँ।
भक्ति... विश्वास की शांति में,
तुझसे मिलता हूँ, मेरे प्रभु, हर सुबह में, हर कदम में।
(समाप्ति – दिव्य संबंध)
तू मेरा आरंभ है, तू मेरा अंत है,
तुझमें, कृष्णा, सबकुछ समाप्त होता है।
सम्पूर्ण समर्पण में, मैंने अपना स्थान पाया,
भक्ति में, मेरे प्रभु, मैं केवल तुझे प्यार कर सकता हूँ।
作词 : Guilherme Eduardo De Lima Junior
作曲 : Guilherme Eduardo De Lima Junior
भक्ति (Bhakti - आध्यात्मिक समर्पण)
(प्रस्तावना – मंत्र फुसफुसाते हुए)
ॐ श्री कृष्णाय नमः (Om Shri Krishnaya Namah)
हृदय समर्पित, आत्मा ऊँची होती है…
प्रेम की शुद्धता में, हम शांति पाते हैं।
(श्लोक १ – गहरी भक्ति)
मंदिर के आगे, जहाँ दीपक जलता है,
प्रेम की ज्योति मेरे हृदय में जलती है, बिना किसी चक्कर के।
मेरे हाथ उठते हैं, आत्मा खुलती है,
कृष्णा, मेरे प्रभु, तुममें ही मैं अपना अस्तित्व पाता हूँ।
जीवन के खेतों में, दुख है सत्य,
लेकिन भक्ति मुझे एक दिव्य स्थान पर ले जाती है।
शिवा, तेरा नृत्य मुझे प्रकाश की ओर ले जाता है,
हर कदम से, मैं तुझसे और पास होता जाता हूँ, तू मेरी क्रूस है।
(पूर्व-कोरस – समर्पण)
ॐ नमः शिवाय (Om Namah Shivaya)
मैं तुझे समर्पित करता हूँ, बिना डर के, बिना पीड़ा के,
कृष्णा के गले में, मैं अपना प्रेम पाता हूँ।
न कोई अहंकार, न कोई बंधन, केवल शुद्ध भक्ति,
तेरी उपस्थिति में, मैं आत्मा और ममता हूँ।
(कोरस – अडिग विश्वास)
भक्ति... मेरा हृदय तुझसे समर्पित है,
हर सांस के साथ, हर मुस्कान के साथ, मैं अंत को महसूस करता हूँ।
भक्ति... विश्वास की शांति में,
तुझसे मिलता हूँ, मेरे प्रभु, हर सुबह में, हर कदम में।
(श्लोक २ – आध्यात्मिक यात्रा)
दुर्गा, माँ वीरता की, तू मेरी शक्ति है,
जीवन की लड़ाई में, तुझमें ही मुझे घर मिलता है।
तेरा प्रेम रक्षा है, दिव्य ढाल,
तेरी दृष्टि प्रकाश है, जो रास्ते को स्पष्ट करती है।
डर के बिना मैं चलता हूँ, मेरी आत्मा कभी नहीं डगमगाती,
कृष्णा मेरे मन में, शिवा मेरे रास्ते में।
जीवन एक अर्पण है, मेरी आत्मा एक फूल है,
तेरे प्रति मेरी आत्मा, मेरा जीवन, मेरा प्रेम अर्पित है।
(पुल – दिव्य एकता)
ॐ मणि पद्मे हूँ (Om Mani Padme Hum)
तेरा नाम है वह गान जो मुक्ति देता है,
तेरी दृष्टि मुझे मार्गदर्शन करती है, सत्य निश्चित है।
प्रार्थना में हाथ, शांति में आत्मा,
अडिग विश्वास, अब कुछ भी मुझे नहीं हिला सकता।
(कोरस – अंतिम बार, सर्वोच्च भक्ति)
भक्ति... मेरा हृदय तुझसे समर्पित है,
हर सांस के साथ, हर मुस्कान के साथ, मैं अंत को महसूस करता हूँ।
भक्ति... विश्वास की शांति में,
तुझसे मिलता हूँ, मेरे प्रभु, हर सुबह में, हर कदम में।
(समाप्ति – दिव्य संबंध)
तू मेरा आरंभ है, तू मेरा अंत है,
तुझमें, कृष्णा, सबकुछ समाप्त होता है।
सम्पूर्ण समर्पण में, मैंने अपना स्थान पाया,
भक्ति में, मेरे प्रभु, मैं केवल तुझे प्यार कर सकता हूँ।