作词 : Abhinay Jain
作曲 : Abhinay Jain
एक आराधना, एक साधना, शंखनाद का स्वर है, दीक्षा ।।
एक तपस्या, एक संकल्प, अपने आप में ईश्वर है, दीक्षा ।।
भव पार करे, दीक्षा दीक्षा,
मोह नाश करे, दीक्षा दीक्षा,
अंधकार हरे, दीक्षा दीक्षा,
नव निर्माण करे ।।
दीक्षा से जनकल्याण करें, वो गुरुवर हैं,
जैन धर्म के यह हैं प्राण, पावन सरोवर हैं,
जीवन इनका पावन तप सा
पूरी करें ये सबकी मनसा
बरसते सबपे ये प्रेम की वर्षा।
भव पार करे, दीक्षा दीक्षा,
मोह नाश करे, दीक्षा दीक्षा,
अंधकार हरे, दीक्षा दीक्षा,
नव निर्माण करे ।।
दीन दुखियों पर प्रेम की शीतल छांव हो
अंधियारे जीवन में आप अलाव हो
भटके हम अज्ञान के घोर अंधेरों में,
आप ही संपूर्ण ज्ञान का ठहराव हो,
आप ही शक्ति, आपने दी शिक्षा,
आप ही से सफल है जीवन परीक्षा ।
भव पार करे, दीक्षा दीक्षा,
मोह नाश करे, दीक्षा दीक्षा,
अंधकार हरे, दीक्षा दीक्षा,
नव निर्माण करे ।।
घर, परिवार, संसार को छोड़ा है,
प्रभु की भक्ति से नाता जोड़ा है,
धरती पर ये भगवान से पूजे जाते हैं,
इंद्र भी चरणों में शीश नवाते हैं,
साथ आपका, ईश्वर जाप सा
मिलेगा कहां? देवता आप सा ।
भव पार करे, दीक्षा दीक्षा,
मोह नाश करे, दीक्षा दीक्षा,
अंधकार हरे, दीक्षा दीक्षा,
नव निर्माण करे ।।
कांटों भरी राहों में पैदल चलते मुनि
भूख प्यास की वेदना को सहते मुनि
सारे मौसम में मुनिवर सम भाव रखे
इंसानी हर भाव से निश्छल रहते मुनि
अमोघ कीर्ति जी,अमर कीर्ति जी
हमारे गुरुवार, हमारे मुनि
भव पार करे, दीक्षा दीक्षा,
मोह नाश करे, दीक्षा दीक्षा,
अंधकार हरे, दीक्षा दीक्षा,
नव निर्माण करे ।।
अंतिम लक्ष दीक्षा दीक्षा
शाश्वत सुख दीक्षा दीक्षा
परम सत्य दीक्षा दीक्षा
जगत वंदय दीक्षा दीक्षा
पाप कर्म नशाए दीक्षा
सैंयम पथ पे बढ़ाये दीक्षा
स्वर्ग मोक्ष ले जाये दीक्षा
सिद्धों से मिलन कराये दीक्षा ।।
作词 : Abhinay Jain
作曲 : Abhinay Jain
एक आराधना, एक साधना, शंखनाद का स्वर है, दीक्षा ।।
एक तपस्या, एक संकल्प, अपने आप में ईश्वर है, दीक्षा ।।
भव पार करे, दीक्षा दीक्षा,
मोह नाश करे, दीक्षा दीक्षा,
अंधकार हरे, दीक्षा दीक्षा,
नव निर्माण करे ।।
दीक्षा से जनकल्याण करें, वो गुरुवर हैं,
जैन धर्म के यह हैं प्राण, पावन सरोवर हैं,
जीवन इनका पावन तप सा
पूरी करें ये सबकी मनसा
बरसते सबपे ये प्रेम की वर्षा।
भव पार करे, दीक्षा दीक्षा,
मोह नाश करे, दीक्षा दीक्षा,
अंधकार हरे, दीक्षा दीक्षा,
नव निर्माण करे ।।
दीन दुखियों पर प्रेम की शीतल छांव हो
अंधियारे जीवन में आप अलाव हो
भटके हम अज्ञान के घोर अंधेरों में,
आप ही संपूर्ण ज्ञान का ठहराव हो,
आप ही शक्ति, आपने दी शिक्षा,
आप ही से सफल है जीवन परीक्षा ।
भव पार करे, दीक्षा दीक्षा,
मोह नाश करे, दीक्षा दीक्षा,
अंधकार हरे, दीक्षा दीक्षा,
नव निर्माण करे ।।
घर, परिवार, संसार को छोड़ा है,
प्रभु की भक्ति से नाता जोड़ा है,
धरती पर ये भगवान से पूजे जाते हैं,
इंद्र भी चरणों में शीश नवाते हैं,
साथ आपका, ईश्वर जाप सा
मिलेगा कहां? देवता आप सा ।
भव पार करे, दीक्षा दीक्षा,
मोह नाश करे, दीक्षा दीक्षा,
अंधकार हरे, दीक्षा दीक्षा,
नव निर्माण करे ।।
कांटों भरी राहों में पैदल चलते मुनि
भूख प्यास की वेदना को सहते मुनि
सारे मौसम में मुनिवर सम भाव रखे
इंसानी हर भाव से निश्छल रहते मुनि
अमोघ कीर्ति जी,अमर कीर्ति जी
हमारे गुरुवार, हमारे मुनि
भव पार करे, दीक्षा दीक्षा,
मोह नाश करे, दीक्षा दीक्षा,
अंधकार हरे, दीक्षा दीक्षा,
नव निर्माण करे ।।
अंतिम लक्ष दीक्षा दीक्षा
शाश्वत सुख दीक्षा दीक्षा
परम सत्य दीक्षा दीक्षा
जगत वंदय दीक्षा दीक्षा
पाप कर्म नशाए दीक्षा
सैंयम पथ पे बढ़ाये दीक्षा
स्वर्ग मोक्ष ले जाये दीक्षा
सिद्धों से मिलन कराये दीक्षा ।।